आजकल बच्चों का ज़्यादा समय मोबाइल, टैबलेट या टीवी स्क्रीन पर बीतता है — जिससे उनकी आँखों, दिमाग, नींद, और पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है। स्क्रीन टाइम बढ़ाना एक गंभीर समस्या बनते जा रही है। खासकर बच्चों में दिन भर मोबाइल गेम्स खेलने यूट्यूब पर वीडियो देखना सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करना और ऑनलाइन पढ़ाई यह सब के करण आंख और दिमाग पर बहुत बुरा असर होता है तो आईए जानते हैं इससे कारण क्या-क्या समस्या होती है दिल और दिमाग पर और हमारे शरीर पर आज हम इसके बारे में जानते हैं,इससे जुड़ी समस्याओं के बारे में।जो हमारे लिए बहुत जरूरी हैं।
स्क्रीन टाइम बढ़ने से होने वाले दुष्प्रभाव:
- नेत्र संबंधी समस्याएं:
लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, थकान, धुंधलापन और ‘ड्राय आई’ जैसी समस्याएं होने लगती हैं। - नींद में कमी:
मोबाइल या लैपटॉप से निकलने वाली नीली रोशनी (blue light) मस्तिष्क को भ्रमित करती है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब होती है और अनिद्रा जैसी समस्या बढ़ती है। - मानसिक स्वास्थ्य पर असर:
ज्यादा समय तक सोशल मीडिया या स्क्रीन से चिपके रहने से तनाव, अकेलापन, चिंता और अवसाद (depression) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। - शारीरिक गतिविधि में कमी:
जब बच्चे या बड़े घंटों स्क्रीन के सामने बैठते हैं, तो उनकी शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, जिससे मोटापा, कमर दर्द, और अन्य शारीरिक समस्याएं होती हैं। - ध्यान और एकाग्रता में गिरावट:
लगातार स्क्रीन देखने से मस्तिष्क थकता है और पढ़ाई या काम में ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। - समाजिक रिश्तों पर प्रभाव:
वास्तविक दुनिया से दूर होकर लोग आभासी दुनिया में ज्यादा समय बिताने लगते हैं, जिससे परिवार और दोस्तों के साथ संबंध कमजोर हो जाते हैं।
निवारण के उपाय:
- दिन में सीमित समय के लिए ही स्क्रीन का उपयोग करें।
- हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए आंखें बंद करें या दूर देखें (20-20-20 नियम)।
- बच्चों के साथ खेलकूद और आउटडोर गतिविधियों को बढ़ावा दें।
- सोने से कम से कम 1 घंटा पहले स्क्रीन का उपयोग बंद कर दें।
- डिजिटल डिटॉक्स जैसे उपाय अपनाएं।
बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के घरेलू उपाय 1. स्क्रीन की जगह रूटीन प्लान करें (Time Replacement Rule)
खाली समय में ही बच्चा स्क्रीन पर जाता है।
इसलिए हर दिन का एक हल्का-सा टाइम टेबल बन जाए जैसे:
- सुबह: स्कूल/होमवर्क
- दोपहर: गेम या बाहर खेल
- शाम: ड्रॉइंग, कहानी, पजल्स
- रात: परिवार के साथ बातें या किताबें
Tip: एक सुंदर रंगीन चार्ट बनाकर दीवार पर लगाएं — बच्चा उसे देखकर खुद पालन करेगा।
2. स्क्रीन को Treat नहीं बनाएं
कई पैरेंट्स बच्चे को खाना खिलाने या शांत कराने के लिए मोबाइल दे देते हैं।
इससे बच्चा सीखता है कि “स्क्रीन = इनाम (Reward)”
बदलें:
- खाना खिलाते वक्त कहानी सुनाएं या खिलौने दिखाएं
- अच्छे व्यवहार के लिए आउटडोर खेल या छोटा गिफ्ट दें, स्क्रीन नहीं
3. घर पर एक्टिविटी बॉक्स बनाएं
एक छोटा डब्बा जिसमें हो —
- रंग, पेंटिंग बुक
- पेपर पजल
- जादुई स्लेट
- क्ले या आटा (डो मोल्डिंग)
- पुराने कपड़ों से DIY चीजें
जब बच्चा बोर हो, तो स्क्रीन की जगह ये बॉक्स ऑफर करें
4. नेचर कनेक्टिविटी बढ़ाएं
बच्चों को बाहर खेलने, पौधों को पानी देने, बालकनी में बैठे रहने की आदत डालें
- सुबह 10 मिनट धूप
- शाम को छत पर दौड़
- बगीचे में कुछ खुद करने दें
इससे आंखें, दिमाग और मन सब शांत होते हैं — स्क्रीन की जरूरत कम लगती है।
5. बच्चों को कहानी और किताब से जोड़ें
रोज़ रात 10 मिनट कहानी सुनाने की आदत डालें कुछ किताबें खुद से देखने दें — इससे स्क्रीन से ध्यान हटेगा और सोचने की शक्ति बढ़ेगी
6. बड़ों का रोल मॉडल बनना ज़रूरी है
अगर पैरेंट्स हर समय मोबाइल में रहेंगे, तो बच्चा भी वही सीखेगा
हर दिन कुछ समय पूरा “No Screen Time Together” रखें
- जैसे: डिनर टाइम, सोने से पहले 30 मिनट
घरेलू उपाय:
त्रिफला पानी से आंखें धोना (हफ्ते में 1 बार)
आँखों को ठंडक देने के लिए गुलाब जल या खीरे के टुकड़े
सुबह सूर्य नमस्कार या ध्यान (Meditation) सिखाएं
स्क्रीन की लत को झगड़े से नहीं, प्यार और रूटीन से दूर किया जा सकता है।
बच्चे को विकल्प देंगे — तो वो खुद स्क्रीन छोड़ना सीखेगा।