How to control Hypertension and what to do :
हाइपरटेंशन को काबू में रखने के लिए यह जरूरी है कि आप जीवन शैली को बेहतर बनाएं. इसके लिए एक सही दिनचर्या को फॉलो करें .सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक की टाइमिंग सही हो. हर छोटी छोटी बात पर ना ले तनाव हाइपरटेंशन यानी बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर हमारी सेहत के लिए आज एक बड़े खतरे के रूप में उभर रहा है. स्वास्थ्य शरीर के लिए आपकी ब्लड प्रेशर को समान होना बहुत जरूरी है. अगर आपका बीपी सामान्य से ज्यादा या कम रहता है तो सचेत हो जाने की जरूरत है क्योंकि हाइपरटेंशन, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज की सबसे प्रमुख वजह है. यह सच है कि उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा भी बढ़ता है लेकिन आजकल अनियमित जीवनशैली तनावपूर्ण वातावरण खानपान की गलत आदत आदि की वजह से युवाओं में भी इसका खतरा बढ़ गया है खास बात यह है कि हाइपरटेंशन प्रीत अधिकतर लोग को जागरूकता की कमी से तब तक कुछ पता ही नहीं चलता जब तक कि कोई समस्या ना खड़ी हो जाए यही वजह है कि इस वर्ष वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे की थीम अपना ब्लड प्रेशर सही से जहां से उसे कंट्रोल करें.
हर छोटी छोटी बात पर ना ले तनाव
दुनिया भर में एक बहुत बड़ी आबादी आज हाइपरटेंशन की समस्या से ग्रस्त है. खास बात यह है कि उसमें से दो तिहाई लोग विकासशील देशों में है. भारत की बात करें तो हर तीन में से एक व्यक्ति को हाइपरटेंशन की समस्या है 85% लोग ऐसे होते हैं, जिनमें हाइपरटेंशन के साथ कोई ना कोई दूसरी बीमारी भी जुड़ी होती है .हाइपरटेंशन का बहुत बड़ा कारण अनुवांशिक होता है, यानी अगर आपके माता-पिता को हाइपरटेंशन की शिकायत रही है तो बच्चे में भी परेशानी हो सकती है .ऐसे में और भी जरूरी है कि आप अपनी जीवनशैली को संतुलित बनाकर रखें.
खराब जीवनशैली से बढ़ता तनाव
आजकल हाइपरटेंशन के मामले में बढ़ोतरी में खराब जीवनशैली का रोल सबसे बड़ा होता है रात में देर तक जगना सुबह देर तक सोना ना सुबह की सैर ना कोई शारीरिक व्यायाम सूरज की रोशनी से दूरी मेहनत से पसीना ना निकालना आदि एसे बहुत से कारणों से हमारी जीवनशैली पूरी तरह प्रभावित है .इसके साथ-साथ लोगों के जीवन में बढ़ता तनाव हाइपरटेंशन की जड़ है. तनाव की वजह से हमारी नींद खराब होती है ,जिससे हाइपरटेंशन डायबिटीज अन्य दूसरी बीमारियां होती है.
युवाओं में भी बढ़ रहा हाइपरटेंशन का खतरा
हाइपरटेंशन का सीधा संबंध हमारे हृदय से हैं. दरअसल दिल हमारे शरीर में एक पंप के रूप में काम करता है और ब्लड सरकुलेशन पूरे शरीर में होता है शरीर के सभी अंगो या कोशिकाओं तक साफ खून पहुंचाने और और फिर साफ खून का उपयोग अंगों या कोशिकाओं द्वारा करने के बाद खराब खून वापस किडनी और लन्ग्स मैं भेजने का काम दिल का ही होता है. हृदय 1 मिनट में काम अमूमन 70 से 75 बार करता है जब सब कुछ सही रहता है तो हमारी खून की नालियों में ब्लड प्रेशर 120/80 होता है, लेकिन खून की नालियों में फैट जमा होने, किडनी की समस्या होने धूम्रपान आदि वजह से नालियों का रास्ता शंकरा हो जाता है. इस वजह से दिल को विभिन्न अंगों या कोशिकाओं तक खून पहुंचाने और वापस लाने में ज्यादा जोर लगाना पड़ता है. यहीं से हाई बीपी या हाइपरटेंशन की शुरुआत होती है हर्ट ब्लड को पंप करता है, जब प्रेशर ज्यादा होता है, जिसे सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहा जाता है. वहीं दूसरी बीट से पहले हर्ट रिलैक्स कर रहा होता है, तब ब्लड प्रेशर कम होता है जिसे डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं.
50 वर्ष के बाद कराएं नियमित चेकअप
शरीर की संरचना और आयु के हिसाब से विभिन्न व्यक्तियों के ब्लड प्रेशर में अंतर हो जाता है. व्यक्ति को ब्लड प्रेशर के नंबर जानना जरूरी है. यानी सिस्टोलिक ऊपर वाला और डायस्टोलिक नीचे वाला का पता होना चाहिए. ब्लड प्रेशर दैनिक क्रियाओं से प्रभावित होता है अगर व्यक्ति को ब्लड प्रेशर 140/90 या उससे अधिक हो तो इसे हाइपरटेंशन या ब्लड प्रेशर की अवस्था कहते हैं. कई बार दिल आर्टिरीज पर दबाव पड़ने के उनके अंदर की लाइनिंग ब्लॉक हो जाती है. ब्लड सरकुलेशन बाधित होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. जबकि स्वस्थ रहने के लिए ब्लड प्रेशर के दोनों पॉइंट्स को कंट्रोल करना जरूरी है .खासकर बड़ी उम्र 50 से 60 साल से ज्यादा उम्र के बाद सिस्टोलिक हाइपरटेंशन का नियमित चेकअप कराना जरूरी है इससे व्यक्ति को कार्डियोवस्कुलर डिजीज होने का खतरा रहता है.
कितने प्रकार के हाइपरटेंशन होते हैं
यह दो तरह का होता है एसेंशियल या प्राइमरी हाइपरटेंशन इसके अधिक मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर को कोई कारण स्पष्ट नहीं होता वही सेकेंडरी हाइपरटेंशन यदि किसी बीमारी या दूसरे कारणों से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है हाइपरटेंशन को नियंत्रित रखने के लिए इसके कारण को जानना जरूरी है लगभग 95% लोगों को बिना किसी कारण से हाइपरटेंशन की समस्या है जिसे मेडिसिन वह लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन 5 प्रतिशत लोगों में हाइपरटेंशन के पीछे कई कारण हो सकता है ,जिन का पता लगाना जरूरी है.
हाइपरटेंशन कब बढ़ जाता है रिस्क
सामान्य व्यक्ति में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 और डायस्टोलिक 90 से नीचे होना चाहिए जबकि डायबिटीज के मरीजों में लिरिक्स बहुत बढ़ जाता है इसलिए उनका ब्लड प्रेशर 130 से80 से कम होना चाहिए यदि हाई ब्लड प्रेशर को पहचान कर सही इलाज ना हो तो इसका बढ़ा हुआ स्तर हमारे पूरे शरीर पर प्रभाव डालता है और हार्टब्रेक लीवर और आप जैसे महत्वपूर्ण अंगों को क्षति पहुंचाता है मरीजों को कई समस्या हो सकती है जैसे हार्ट ,अटैक हार्ट ,फेल्योर ब्रेन हेमरेज ,ब्रेन स्ट्रोक, पैरालाइसिस होने का खतरा बढ़ जाता है, रेटिनल हेमरेज, पेरीफेरल मस्कुलर डिजीज किडनी फैल्योर आदि स्टडी के हिसाब से दुनिया भर में होने वाले हार्ट अटैक के 45 प्रतिशत और 50% से ज्यादा मामलों का मूल कारण हाइपरटेंशन है
समुचित उपचार है जरूरी
हाइपरटेंशन के मरीज लक्षण या दिक्कत महसूस ना होने पर आमतौर पर उपचार करने में कतराते हैं लेकिन इससे उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है ,और दूसरी समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है. जबकि हाई ब्लड प्रेशर की जांच शुरुआती स्टेज पर होना और समुचित ध्यान रखने पर इससे खत्म भी किया जा सकता है . उपचार के तौर पर डॉक्टर मरीज को जीवन शैली में बदलाव लाने की सलाह देते हैं जरूरी होने पर मरीज को रेगुलर मेडिसिन लेनी पड़ती है
कैसे पहचाने हाई बीपी को
हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्योंकि इससे ग्रस्त 90% रोगियों में इसके कोई खास लक्षण नहीं होते बढ़ने पर इस तरह के लक्षण होते हैं.
●थकावट, चक्कर आना
●चिड़चिड़ापन या जल्दी व तेज गुस्सा आना
●आंखों में परेशानी
●सीने में दर्द
●सांस फूलना और अनियमित धड़कन
●धड़कनों का तेज हो जाना
●कानों में सनसनाहट
●सिर दर्द या सिर में भारीपन
●जबरो मे जकड़न आदि को हल्के में ना लें.
खानपान की भूमिका अहम
हाइपरटेंशन को कम करने में हमारे खान-पान का काफी अहम रोल होता है .अगर हाइपरटेंशन से बचना है तो ज्यादा फैट घी रिफाइंड और तेल वह मसाले वाले खाने से जरूर बचे. जिन्हें इस परेशानी ने घेर लिया है उनके लिए तो चिकनाई वाला खाना 15 दिन में एक बार ही होना चाहिए. खाने में ऊपर से नमक लेकर खाने की आदत जरूर बंद करें. जिन्हें हाइपरटेंशन की समस्या है उनके लिए तो जरूरी है कि वे नमक सामान्य से भी कम ले. विज्ञान की तमाम तरक्की के बावजूद मरीजों की बड़ी संख्या है जिन्हें हाइपरटेंशन के कारणों का पता नहीं लगता जिनमें कारणों का पता चल जाता है .उनका सही से इलाज किया जा सकता है .छोटे बच्चे और युवाओं में हाइपरटेंशन के कई सेकेंडरी कारण रहते हैं. जैसे- अनियमित और आराम परस्त जीवन शैली अनहेल्दी खानपान, खाने में नमक की अधिक होना, पढाई और कैरियर को लेकर तनाव, मोटापा,नींद पूरी ना होना, किडनी की बीमारी ,आर्टिरीज में ब्लॉकेज ,हार्मोन संबंधी तकलीफ, गर्भावस्था ,थायराइड ,फैमिली हिस्ट्री होना, अल्कोहल की लत ,और उसके साथ नमकीन स्नैक्स का अधिक सेवन, स्मोकिंग या तंबाकू का सेवन यह सब हाइपरटेंशन का प्रमुख कारण है.
हाइपरटेंशन के खतरे से करें अपना बचाव
●जरूरी है नियमित रूप से यहां तो अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाएं और जाने कि आपका ब्लड प्रेशर टेस्ट क्या है अगर आप प्री हाइपरटेंशन मरीज की कैटेगरी में आते हैं, तो इससे बचाव के लिए कुछ समुचित कदम उठाना जरूरी है.
●समुचित जांच सही सलाह और जीवनशैली में बदलाव से सिस्टोलिक हाइपरटेंशन को नियंत्रित किया जा सकता है
●आजकल युवाओं को भी अपना ब्लड प्रेशर जरूर चेक कराना चाहिए अगर ब्लड प्रेशर ज्यादा हो तो डॉक्टर से कंसल्ट करें
●घर के बने संतुलित और पोस्टिक आहार का सेवन करें आहार में ज्यादा से ज्यादा मौसमी फल सब्जियां को भी शामिल करें. केला अनार नारियल का पानी जैसे पोटैशियम रिच फलों का सेवन अधिक करें
●फास्ट फूड, जंक फूड ,प्रोसैस्ड फूड ,वसायुक्त आहार से परहेज करें ज्यादा नमक वाली चीजें जैसे- पैकेज्ड फूड, आचार् ,पापड़, चिप्स, नमकीन चीज ब्रेड, कम खाए यहां तक की सलाद में नमक डालकर नहीं खाना चाहिए.
●आहार में नमक कम- से -कम ले खास करके टेबल साल्ट यानी ऊपर में नमक मिला ना और करें शरीर के लिए नमक जरूरी है लेकिन जब इसकी मात्रा जायदा हो तो बीपी बढ़ जाता है.
●चाय कॉफी जैसे कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करें. घर पर ब्लड प्रेशर मॉनिटर से रेगुलर चेक करें ध्यान रखें कि ब्लड प्रेशर मॉनिटर करते संयम रखें हुआ वाइट कोट हाइपरटेंशन से बचे. समय-समय पर डॉक्टर को कंसल्ट करने से घबराए नहीं.
●अगर आपका ब्लड प्रेशर काफी समय से 140/90 मीमी एचजी से अधिक हो तो डॉक्टर से संपर्क से नियमित दवाई ले.
●वजन नियंत्रित रखें .रेगुलर कम से कम 45 मिनट फिजिकल एक्टिविटी जैसे योग या एक्सरसाइज करें ब्रिस्क वॉक करें स्ट्रेस कम करने के लिए मेडिटेशन करें. अल्कोहल के सेवन और स्मोकिंग से परहेज करें.
●रेगुलर फिजिकल चेकअप करवाएं ताकि ब्लड प्रेशर से शरीर के दूसरे अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव की यथा समय जांच भी हो जाए अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो डॉक्टर से परामर्श करके उपचार करवाएं.